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Mani Aggarwal

Romance

5.0  

Mani Aggarwal

Romance

तुम्हारा रंग

तुम्हारा रंग

1 min
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सुनो, चले आना

मगर देखो, प्यार से रखना पग

बहुत नाजुक “दर ओ दीवार” है

मेरे दिल के कमरे की।


नाजुक एहसासों से बनी है न

ये कभी सहन न कर पाएँगी

घृणा और बेवफाई का बोझ

तो आने से पहले विचार लेना

जितना चाहो समय लेना।


पर जब आना

तो बस प्यार की कोमलता लिये

मेरा समर्पण कभी नहीं रह पाएगा

शक की कंटीली चुभन के साथ

तो जब आना बस।


विश्वास के फूल ले आना साथ

महक जाऊँगी मैं

महका दूँगी तुमको भी

मुझे नही भाते

ये सोने-चांदी के गहने।


मुझे तो तुम्हारी

बाँहों का हार ही काफी है

 खूब जंचेगा मुझ पर

निखर जाएगा मेरा सौंदर्य

पहन कर।


मेरे भरोसे और

समर्पण को सींच देना

थोड़े सम्मान से

रंग लूँगी खुद को

तुम्हारे रंग में।


सहर्ष…...।


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