तुम्हारा अहंकार
तुम्हारा अहंकार
वह जो काम किया
मन लगाकर किया
तुमसे प्यार भी किया तो
जी भरकर प्यार किया।
बड़ों के लिए मान -सम्मान
छोटों के लिए मीठी प्यार
दया-माया,अपनी मुस्कान
जो वह कपड़े में बाँधकर लायी थी
वह सब तुम्हे दे दिया।
माँ-बाप का ममत्व
भाईयों का प्यार
गाँव की पनघट
सहेलियों के साथ रिश्ता।
वह कुल्हि की धूल में खेलना
जंगल से जंगली साग तोड़ना
अपनी दादियों के साथ .
सभी कुछ पीछे छूट गया
रिश्ते की जड़ें।
जो बहुत अंदर तक गई थी
तोड़ना पड़ा उसे .
यहाँ से उसे जड़ के साथ उखाड़ी गई
तुम्हारे अपरिचित आँगन में लगाईं गई
पेड़ बनी
छांव भी दी
फूल और फल देने की
भाग्य उसकी न रही।
सुन्दर नाम भी असत्य ही गई
घर के लोगों ने नाम दिया बाँझ
टोले- मोहल्ले के ' नीरस औरत '
फिर कोई - कोई तो बच्चे को
खानेवाली डायन भी
उसकी भाग्य में फूल और फल
ही न लिखा हो तो
वह भला क्या करेगी ?
और तुम तो
उसकी दुःख ही न देखा
आँसू का मूल्य ही
समझ न पाया।
औरतों को नीचे दर्जे की
नागरिक समझ लिया
तुम पुरुषार्थ सिद्ध करने के लिए
फिर से एक और पेड़ को
उखाड़ कर लाई।
