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Chandramohan Kisku

Abstract

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Chandramohan Kisku

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तुम्हारा अहंकार

तुम्हारा अहंकार

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वह जो काम किया 

मन लगाकर किया 

तुमसे प्यार भी किया तो 

जी भरकर प्यार किया।


बड़ों के लिए मान -सम्मान 

छोटों के लिए मीठी प्यार 

दया-माया,अपनी मुस्कान 

जो वह कपड़े में बाँधकर लायी थी 

वह सब तुम्हे दे दिया।


माँ-बाप का ममत्व 

भाईयों का प्यार 

गाँव की पनघट  

सहेलियों के साथ रिश्ता।

 

वह कुल्हि की धूल में खेलना 

जंगल से जंगली साग तोड़ना

अपनी दादियों के साथ .

सभी कुछ पीछे छूट गया 

रिश्ते की जड़ें।

 

जो बहुत अंदर तक गई थी 

तोड़ना पड़ा उसे .

यहाँ से उसे जड़ के साथ उखाड़ी गई

तुम्हारे अपरिचित आँगन में लगाईं गई

पेड़ बनी

छांव भी दी 

फूल और फल देने की 

भाग्य उसकी न रही।


सुन्दर नाम भी असत्य ही गई

घर के लोगों ने नाम दिया बाँझ  

टोले- मोहल्ले के ' नीरस औरत '

फिर कोई - कोई तो बच्चे को 

खानेवाली डायन भी 

उसकी भाग्य में फूल और फल 

ही न लिखा हो तो 

वह भला क्या करेगी ?


और तुम तो 

उसकी दुःख ही न देखा 

आँसू का मूल्य ही 

समझ न पाया।


औरतों को नीचे दर्जे की 

नागरिक समझ लिया 

तुम पुरुषार्थ सिद्ध करने के लिए 

फिर से एक और पेड़ को 

उखाड़ कर लाई।


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