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Manjul Manzar Lucknowi

Abstract

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Manjul Manzar Lucknowi

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तुम तो ठहरी परी आसमानी

तुम तो ठहरी परी आसमानी

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तुम तो ठहरी परी आसमानी

है ज़मीं पर हमारी कहानी।


छोड़कर जिस्म लो आ रही है,

रूह भी है तुम्हारी दीवानी।


इश्क़ में मिट भी जाएंगे हम तो,

याद रक्खेगी दुनिया कहानी।


नफ़रतें बाँटने वाले सारे,

होएँगे शर्म से पानी पानी।


आने वाले समय में दीवाने,

ढूंढ लेंगे हमारी निशानी।


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