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Arvind Sharma

Romance

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Arvind Sharma

Romance

तुम सिर्फ तुम हो

तुम सिर्फ तुम हो

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मैंने नहीं देखा है तुम्हारा चेहरा कभी चाँद की तरह

नहीं देखे हैं सागर, न झीलें तुम्हारी आँखों में

तुम्हारी चाल को भी संज्ञा न दे सका हिरनी जैसी

तुम्हारे सौन्दर्य को न बाँध सका किसी परिभाषा में

मैं मानता था, तुम सिर्फ तुम हो और कुछ नहीं

सिवाय प्रेम के तुम्हारे भीतर कुछ न जान सका मैं


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