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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

तुम सबको प्रणाम

तुम सबको प्रणाम

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हे, स्वास्थ्य रक्षक !

हे, राष्ट्र रक्षक!

तुम सबको प्रणाम।

मानव मानवीयता की त्यागमूर्ति,

वसुधा पर प्रभु का दूजा नाम।

हे, स्वास्थ्य रक्षक !

हे, राष्ट्र रक्षक!

तुम सबको प्रणाम।


कर्त्तव्य भाव से रहते सेवारत,

हर दिन हर क्षण भर सुबह-शाम।

न निशा - दिवस, बिन आलस के

तज निज निद्रा अनवरत काम।

अनुपम उदाहरण परिश्रमी जन के,

कर्तव्य निभाते बिन विराम।

हे, स्वास्थ्य रक्षक !

हे, राष्ट्र रक्षक!

तुम सबको प्रणाम।


तुम भेद रहित सेवा देते,

मृदु वाणी है तव शुभ गहना।

मन के विज्ञान के तुम ज्ञाता,

तव शुभ आचरण सोम सम है,

तव सद्व्यवहार का क्या कहना।

निज रोगी के कल्याण हेतु,

प्रयास करते रहते हो तुम बिन विराम।

हे, स्वास्थ्य रक्षक !

हे, राष्ट्र रक्षक!

तुम सबको प्रणाम।


सब श्रेणियां हैं अति महत्त्वपूर्ण,

सबका अपना-अपना है विशिष्ट काम।

हर पल बिन थके-रुके,

सेवा देते रहते बिन किए आराम।

तव सेवा के हैं विविध रूप,

और तुम सबके हैं विविध नाम।

समाज के तुम हो रक्षक,

हम सबका तुम सबको प्रणाम।

हे, स्वास्थ्य रक्षक !

हे, राष्ट्र रक्षक!

तुम सबको प्रणाम।


कुछ धन- लोलुप स्वार्थियों ने,

कारनामे कर डाले कुछ एक काले।

गंदी कुछ एक मछलियों ने,

बदनाम सरोवर भी कर डाले।

तव भरोसा- कर्तव्यपरायणता 

अब भी है उतनी ही विश्वसनीय।

और अति विशिष्ट ही हैं,

अपने-अपने तुम सबके ही काम।

हे, स्वास्थ्य रक्षक !

हे, राष्ट्र रक्षक!

तुम सबको प्रणाम।


कुछ सिरफिरों ने आक्रोशित होकर के,

तुममें से कुछ का भ्रम वश अपमान किया।

होना था जिनको ऋणी सदा,

आ क्रोध आवेश में यह भुला दिया।

उन सब दोषों को कर देना क्षमा,

विनती हम सब करते हैं ये तमाम।

हे, स्वास्थ्य रक्षक !

हे, राष्ट्र रक्षक!

तुम सबको प्रणाम।


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