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Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

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Preeti Sharma "ASEEM"

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तुम रहोगे

तुम रहोगे

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तुम आज हो? 

और

कल भी रहोगे।


यह किस,

सोच ने आ घेरा है। 


तुम आज हो? 

कल नहीं रहोगे। 

हैरान हूँ। 


जो किरदार

आत्मा के रहस्यों को,

जान आया हो। 

मृत्यु का,

स्पर्श भी कर आया हो।


आत्मा कहाँ मरती है? 

युगों -युगों अपना संदेश लिए ,

कदम दर कदम 

शरीर छोड़कर,

नया शरीर ले।

बस आगे ही आगे बढ़ती है।


फिर क्यों

आज इस सोच ने

आ घेरा है।


जिन दिलों में ,

आप समाए हो। 


जब तक वह दिल रहेंगे।

आप उन दिलों में। 


कुछ पल के लिए नहीं। 

पल- पल के लिए रहोगे।। 


आपकी बातें एक लौ की तरह,

हमेशा टिमटिमायेंगी।

अंधेरे रास्तों में,

मंज़िलों को रौशनायेंगी। 



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