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भावना भट्ट

Abstract

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भावना भट्ट

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तुम प्रेम हो....

तुम प्रेम हो....

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तुमसे ही प्रीत मेरी

तुम मेरे हृदय का साज़ हो

तुम बिन मैं कुछ नहीं कान्हा

तुम मेरे नैनों की आवाज़ हो

तुम प्रेम हो....


तुम ही शृंगार हो मेरे

तुम मेरे हमराज़ हो

तुम बिन मैं कहीं नहीं कान्हा

तुम मेरे शीश का ताज हो

तुम प्रेम हो....


तुमसे ही अस्तित्व है मेरा

तुम मेरे परवाज़ हो

तुम बिन मैं क्या हूँ कान्हा

तुम मेरे जीवन का नाज़ हो

तुम प्रेम हो....


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