तुम ना होती
तुम ना होती
अगर तुम ना होती मेरे जीवन में,
ना घर ही होता ना परिवार होता।
प्रेम की भाषा यदि तुम न बतलाती,
कभी भी इस जीवन में कल्याण ना होता।
प्रेम बंधन में यदि बंधना न सिखलाती,
गृहस्थी का मेरा कोई ठिकाना ना होता।
विमुख हो रहा था इस दुनिया से,
अगर तुम्हारा मेरे जीवन में आना ना होता।
क्या खूब जोड़ी बनाई उस रब ने,
तुम्हारा जो मुझ पर इतना सहारा ना होता।
योग्य "माता" का जो किरदार निभाया,
जो तुमने किया वह किसी से ना होता।
"संगिनी" बन मुश्किलों का किया जो मुकाबला,
ना करते तो "नीरज" का नाम ना होता।
