STORYMIRROR

Neeraj pal

Abstract

3  

Neeraj pal

Abstract

तुम ना होती

तुम ना होती

1 min
216

अगर तुम ना होती मेरे जीवन में,

ना घर ही होता ना परिवार होता।


प्रेम की भाषा यदि तुम न बतलाती,

कभी भी इस जीवन में कल्याण ना होता।


प्रेम बंधन में यदि बंधना न सिखलाती,

गृहस्थी का मेरा कोई ठिकाना ना होता।


विमुख हो रहा था इस दुनिया से,

अगर तुम्हारा मेरे जीवन में आना ना होता।


क्या खूब जोड़ी बनाई उस रब ने,

तुम्हारा जो मुझ पर इतना सहारा ना होता।


योग्य "माता" का जो किरदार निभाया,

जो तुमने किया वह किसी से ना होता।


"संगिनी" बन मुश्किलों का किया जो मुकाबला,

ना करते तो "नीरज" का नाम ना होता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract