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V. Aaradhyaa

Inspirational

4.5  

V. Aaradhyaa

Inspirational

तुम अनसुईया का प्रतिरूप हो

तुम अनसुईया का प्रतिरूप हो

1 min
21



तुम सहनशील तुम सरल हृदया,

         तुम अति पावन गंगाजल हो !

चिंतन गंभीर सुरभित समीर,

         तुम शीतल मन व निर्मल हो !


विकसित यौवन हर्षित चितवन हो,

        तुम सरस व सघन उपवन हो !

तुम मानिनी के हृदय में प्रेम प्रबल हो,

       तुम परिवार का स्तम्भ और संबल हो !


विकसित पल-पल होता है जीवन,

        तुम निज गृह की वान्या वनिता हो !

तुम हो वीणा की एक मधुर तान,

        तुम असुर हंता तुम सुर सरिता हो !


देवों के देव भी तुम्हारी गोद में खेलते,

        तुम माता अनसुईया का प्रतिरुप हो !

मानव के सृष्टि की तुम जननी हो,

        तुम ही माता, बहना, भार्या का रूप हो !



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