टूटना गिरि के ह्रदय का
टूटना गिरि के ह्रदय का
टूटना गिरि के ह्रदय का,
निर्झरों को जन्म देता।
निर्झरों का भूमि पर बिखराव,
नद का रूप लेता।
सिन्धु होने के लिए,
आतुर ह्रदय है हर नदी का।
बस यूँ ही जीवन सदा,
गतिमानता में अर्थ लेता।
तरल होगा सत्य तब,
शिव-सुन्दरम् का रूप लेगा।
विश्व रे मेरा विसर्जन
भी सृजन को जन्म देगा।
