Shop now in Amazon Great Indian Festival. Click here.
Shop now in Amazon Great Indian Festival. Click here.

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

4  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

टपकती छत

टपकती छत

1 min
22


इस तेज बारिश से छत मेरी टपक रही है 

सुंदर ख्वाबों की बस्ती मेरी सुलग रही है


फिर भी अपना छाता लिये हुए खड़ा हूं,

इसके छेदों से चांदनी मेरी छलक रही है


लोग सोचते है, मैं एक गरीब लड़का हूं

लोग सोचते है, मैं मुसीबतों में खड़ा हूं


पर में भी बता दूं, उन्हें एकबात पते की,

टपकती छत से ही मैं कोहिनूर बना हूं।


इस तेज बारिश से छत मेरी टपक रही है

फिऱ भी हसरते मेरी फूल सी खिल रही है।


अभाव में, भले ही मैं जी रहा हूं, दोस्तों,

टूटे छाते से मेरी कर्म ज्योति तेज हो रही है


जिनके होते है, घर वो क़भी नहीं रोते हैं,

जिनके भरे है, घर वो कभी नहीं सोते हैं,


मैं ख़ुशनसीब हूं, मेरा घर है वो खाली है,

जिनके होते टूटे मकां वो चैन से सोते हैं।


हिम्मत रुपी छाते से पर्वत से टकराउंगा,

हर समस्या के छेद को ताकत बनाऊंगा।


जितनी होगी ज़माने के व्यंगों की बारिश,

उतनी ही ज़्यादा बढ़ेगी मेरी कर्म ख्वाहिश।


आसमानी निगाहों से,ख़ुद के जज्बातों से,

हर बारिश मेरे लिये प्रेरणा स्तोत्र हो रही है


इस तेज बारिश से छत मेरी टपक रही है,

पर इन बूंदों से किस्मत मेरी चमक रही है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational