टकराएंगे नक्षत्र निकर
टकराएंगे नक्षत्र निकर
टकराएंगे नक्षत्र निकर
तब हम बिखरकर भी निखरेंगे
समय हमेशा एक सा नहीं रहता
हम सब कल फिर से सँवरेंगे
माना फूलों ने डाली का साथ छोड़ दिया
कल खिलकर फिर से मुस्कुराएंगे
जीवन सुख- दुख का नाम है
कल हम फिर से खिल खिलाएंगे
आज बादल बिन बरसे ही चले गए
कल बरसात की बौछार लेकर आएंगे
माना पक्षियों की तरह पंख नहीं हमारे
लेकिन फिर भी दूर गगन में उड़ जाएंगे
आज बहुत कुछ पीछे छूट गया है
आने वाले कल को अपनाकर हम
अपने जीवन को फिर से बेहतर बनाएंगे
टकराएंगे नक्षत्र निकर जब
हम टूट कर फिर से निखर जाएंगे
संघर्ष का नाम ही है जिंदगी
संघर्ष कर नई उम्मीद जगाएंगे
अपने आज को बेहतर बनाकर
कल भी हम निखर जाएंगे
टकराएंगे नक्षत्र निकर जब
बिखर कर भी फिर से संवर जाएंगे! !