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शशि कांत श्रीवास्तव

Abstract

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शशि कांत श्रीवास्तव

Abstract

तस्वीर यादों की

तस्वीर यादों की

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उभरती है कुछ,

आड़ी तिरछी रेखाओं के मध्य 

धुंधली -धुंधली सी परछाई जो 

आती हैं फिर गुम हो जाती हैं 

यादों के पटल से।


और मन फिर से उलझ जाता है 

उन आड़ी तिरछी रेखाओं में 

ढूंढने को, अपनों को जो 

दूर हो चुके हैं बिछुड़ कर अपनों से 

पर मिलते नहीं हैं वो।

 

उन आड़ी तिरछी यादों की

रेखाओं में ताकि

बना सकूँ एक खूबसूरत सी तस्वीर 

अपनी यादों के पटल पर।


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