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Dr. Sudhir Mahajan

Tragedy

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Dr. Sudhir Mahajan

Tragedy

तस्वीर सांझ समय की

तस्वीर सांझ समय की

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एक तस्वीर है

सांझ समय की

आओ दिखाऊँ ..


इस दरवाजे की

दरारों के बाहर देखो

सूरज गिर रहा है

लालिमा बिखर रही है

ठीक इसके विपरीत

झरोखा है

बिखरती होंगी

किरणें यहाँ से

सबेरे सबेरे

जब सूरज उठ

खड़ा होता होगा ।


बच्चे लिपटे हैं

टांगों से उसकी

अभी आया सा

लगता है वह

जूते भी रखे हैं

दहलीज़ पर ।


सुर्ख अंगीठी

पर प्यार पक रहा है

रोटी के रूप में..

दिखाई नहीं देता

जिसका ओर न छोर

क्या तुम्हें दिखाई 

पड़ता है ? 


पल्लू खोंसे वह भी

खड़ी है पास

निहारती हुई नेह से

पापा संग

लिपटे बच्चों को ।


थकान की बाट जोहती

एक खटिया है

दवाइयों की पर्ची

नहीं नहीं...

बच्चों के स्कूल की

किताबों की सूची लगती है 

संग टूटा ऐनक

रखा है टेबल पर ।


कुछ सिक्के भी तो हैं

बच्चों के हाथों में

जो जाते होंगे 

उस पर रखी गुल्लक में

बारी-बारी और 

आस आ जाती होगी

थोड़ी पास ।


पास ही आलिये में

रखी एक अलार्म क्लॉक है

जिसमे सेकंड का कांटा

गिरा सा लगता है।


क्या इस तस्वीर को 

लगा दूं

अपने ड्राइंग रूम में

जो बड़ा तो है पर

खाली सा लगता है ।


तुम्हीं बताओ...?



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