तस्कर-तस्कर भाई है
तस्कर-तस्कर भाई है


मैं...
देखता हूं, सुनता हूं,
दुनियां की हरकतें।
दुनियां पागल है....
पैसे का दामन,
छोड़ना नहीं चाहती...
प्रेम के इन धागों को,
छोड़ना नहीं चाहती।
जाने क्यों...
स्वयं को बन्धन में,
बांध रही है...
जबकि स्वयं...
आजाद होना चाहती है।
मैं...
देख रहा हूं...
मानव; मानव का प्यासा है,
धन की मात्र पिपासा है।
इसीलिए तो हो रहा,
हर तरफ आज...
ख़ूनी काण्ड औ खूनी तमाशा है।
मैं....
देख रहा हूं.....
भाई-भाई में,
आज बन गई खाई है।
बेटे-औ-बाप लुटाने को,
देखो दुनिया यूं आई है।
कोर्ट-कचहरी में देखो,
किस-किस की लड़ाई छाई है।
भाई-भाई का दुश्मन है,
पर तस्कर-तस्कर भाई है।
हर तरफ़ अंधेर है मचा हुआ,
हर तरफ़ अंधेरी छाई है।