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Nalanda Satish

Abstract Tragedy

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Nalanda Satish

Abstract Tragedy

तराजू

तराजू

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आँसुओ में डुबो दो जब जी चाहे

रुदन की बेटी नहीं हूँ मैं


छलनी कर दो कलेजा मेरा जब जी चाहे

अब्बुमियाँ की बकरी नहीं हूँ मैं


रौंद डालो पैरो तले जब जी चाहे 

हरम की दासी नहीं हूँ मैं


कर लो कब्जा जिस्म पर मेरे जब जी चाहे

किसीके बाप की जागीर नहीं हूँ मैं


प्रसाद चढ़ाकर सेंक लो रोटी जब जी चाहे

लड़कपन की गूँगी गुड़िया नहीं हूँ मैं


गरज भर से कर लो तारीफ 'नालन्दा' जब जी चाहे

मूल्यांकन का तराजू नहीं हूँ मैं।


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