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SHAKTI RAO MANI

Inspirational

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SHAKTI RAO MANI

Inspirational

तो वो कविता है

तो वो कविता है

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शब्द कम हो और सिख बड़ी दे जाये, तो वो कविता है

मोहब्बत के मारे शायर बना फिरता है

वो शायरी प्रकृति से मिल जाए, तो वो कविता है

मेरे दिल से निकली बात तेरे दिल को छू जाए

मेरे लिखे शब्द तेरे अल्फाज बन जाए,

तो वो कविता है


मेरी ज़ुबां से नहीं स्याही से निकलकर

कागज पर उतर जाए, तो वो कविता है

मेरे अरमाँ तेरे अरमाँ से मिल जाए

मेरी रुह तेरी रुह हो जाए,

ये कही बात भी एक कविता है


टूटा हुआ पर भी जमीन पे आराम से गिरता है

पेड़ फिर उगने की चाह में बीज बनता है

साथ है, और जो साथ निभा जाए

दोनों में जो अंतर बता जाए,

तो वो कविता है


जिसकी उड़ान अनन्तता में हो तो वो कविता है

टूटकर भी जो मंजिल तक पहुँच जाता है

अपनी दास्ताँ कुछ यूँ सुनाता है

के अब तक लिखी बात जो समझ जाए तो वो कवि है

और वो कवि मेरी समझ को तेरी समझ से मिला दे,

तो वो कविता है


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