तन्हाई
तन्हाई
जन्नत ये तुमने मुझको दिखाई तमाम शब
आकर तू पास मेरे मुस्कुराई तमाम शब।
तुझे आसमां के चाँद - सितारे जमी देखे
आँखों से दिल में तू ही समाई तमाम शब।
तुमसे जो हो गई थी मोहब्बत ठहर गये
कलियाँ गुलाबों ने खिलाई तमाम शब।
क्या ये दोनों के लिए मुनासिब हैं तू बता
इस गम से हमको नींद ना आई तमाम शब।
मिलेंगे तो बताएंगे तन्हाई में तुम्हें "नीतू"
तब चाँदनी कैसे थी शरमाई तमाम शब।