फासला
फासला
शहर सोया है
आप जागे से क्यूँ है
कहां बरसात है
आप भीगे से क्यूँ हैं
मुश्किलें है
तो छुपाते क्यूँ हैं
खुद से इतने
खफ़ा-खफ़ा क्यूँ हैं
चला जाता है
वक्त को रुकना क्यूँ है
पकड़ना हाथ से है
हाथ छूटता क्यूँ है
इतने हिस्से है
तो यह शहर क्यूँ है
बंटा-बंटा सा है
तो यह घर क्यूँ है
मुश्किलें हैं
तो छुपाते क्यूँ हैं
कहां बरसात है
आप भीगे से क्यूँ हैं।