किस बात का करता है घमंड
किस बात का करता है घमंड
किस बात का करता है घमंड
हे मानव !
तू हर बार क्यूँ देता
है ख़ुद को बढ़ावा,
क्यूँ नहीं करता तू ,
घमंड को अपने चूर,
क्यूँ नहीं कर देता तू,
घमंड भाव अपना
परित्याग,
हे मानव !
कब तक तू,
करेगा घमंड
घमंड तेरा एक दिन
चूर हों जाएगा,
जब करेगा तू,
अपने घमंड
भाव का परित्याग।