तन्हा
तन्हा
तमन्नाएं रूबरू बैठी,
और बोली, हमारी कब की बारी है।
तनहा घूमते रहते हो,
अब ये कौन सी तुमको, नई बीमारी है।
सुना है आज कल
चाँद को देखकर मुस्कुराते रहते हो
तनहा ही बैठे रहते हो,
क्या चांदनी में नहाकर तुमने रात गुज़री है।
अब ये कौन सी तुमको, नई बीमारी है।
तमन्नाएं रूबरू बैठी,
और बोली, हमारी कब की बारी है।
हक़ीक़त का फ़साना बन गया
और हर तरफ इंसानियत की मारा मारी है
तनहा ही तुम सोचते रहते हो,
या महफ़िल में तुमने कोई रात गुज़री है।
सुना है आज कल
मोहब्बत इश्क़ की बातें नहीं करते हो
तनहा ही जीते रहते हो,
क्या तन्हाई में लिखकर
ही तुमने उम्र गुज़री है।
अब ये कौन सी तुमको, नई बीमारी है।
तमन्नाएं रूबरू बैठी,
और बोली, हमारी कब की बारी है।
