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दयाल शरण

Inspirational

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दयाल शरण

Inspirational

तंगी

तंगी

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कभी जब हाथ तंग होते हैं

पुराने पतलूनों की और कमीजों की जेबें

तलाश लेता हूँ,

शायद कभी, कोई मुड़ा-सिकुड़ा,

नोट निकल जाये, लाटरी की तरह।

आप सभी ने कभी-ना-कभी 

ऐसा किया होगा, 

शायद कुछ सफल भी होंगे

मुझे लगता है।


मैं भी एक बार सफल हुआ

पर वह पतलून पापा की थी, 

उनके अलविदा कहने के बाद,

बस तब से विश्वास सा बन गया है

ग़ुरबतों से निकलने का,

घुप्प अंधेरों में कोई पौ फंटने का,

प्रभास होने का, अपने सिर पर,

उनके नर्म हाथ होने का।


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