"तन-मन-धन
"तन-मन-धन
तन की सुंदरता पे मत जा!
मन का मैल हटाओ रे!
धन तो आता जाता है रे!
मन को मत भटकाओ रे।।
सत्य समर्पित मानव हो ले!
फिर पाछे पछतायेगा।
छल-प्रपंच को तज ले बंदे!
जीवन भर सुख पायेगा।
भौतिकता के मद में अंधे!
सात्विकता अपनाओ रे!
धन तो आता जाता है रे!
मन को मत भटकाओ रे।।
तन की सुंदरता पे मत जा!
मन का मैल हटाओ रे!
धन तो आता जाता है रे!
मन को मत भटकाओ रे।।
राही पथ से मत डिगना तुम,
चाहे कितनी बाधा हो।
संघर्षों से जीवन बनता,
पथ में चाहे काँटें हों।
काम-क्रोध के वश में मत हो,
राम नाम भी जप लो रे!
धन तो आता जाता है रे!
मन को मत भटकाओ रे।।
तन की सुंदरता पे मत जा!
मन का मैल हटाओ रे!
धन तो आता जाता है रे!
मन को मत भटकाओ रे।।
चंद पलों का सुख का मेला,
गीत खुशी के गाये जा।
चार दिनों का ठेलम ठेला,
भज गोविन्दं गाये जा।
अहंकार का भाव त्याग ले!
ईश शरण में जाओ रे।।
धन तो आता जाता है रे!
मन को मत भटकाओ रे।।
तन की सुंदरता पे मत जा!
मन का मैल हटाओ रे!
धन तो आता जाता है रे!
मन को मत भटकाओ रे।।