Awadhesh Kumar
Classics
चिंगारी नहीं जलता खत है तू,
पूरा पढ़ भी ना पाऊं,
बिन पढ़े रह ना पाऊं।
~दर्द
तलब
~पहला पन्ना
हिचकी
कोरोना की दुन...
~ख़ुदा
9 बजे 9 मिनट
नशा
आँखों की साज़...
यादें
रास लीला की कथा को, मैं सुनाता आज। ध्यान से सुन लो मनोहर, गूढ़ है ये राज॥ रास लीला की कथा को, मैं सुनाता आज। ध्यान से सुन लो मनोहर, गूढ़ है ये राज॥
शीश झुकाऊँ गुरु चरण में, आज यहाँ गुरु की महिमा कहता हूँ। शीश झुकाऊँ गुरु चरण में, आज यहाँ गुरु की महिमा कहता हूँ।
अक्रूर जी कहें कि आप कारण हैं प्रकृति आदि समस्त कारणों के । अक्रूर जी कहें कि आप कारण हैं प्रकृति आदि समस्त कारणों के ।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान ने तब संकल्प कर लिया। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान ने तब संकल्प कर लिया।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित सुनकर जरासंध के वध को। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित सुनकर जरासंध के वध को।
काँप रही थी पृथ्वी, स्वर्ग भी था भयभीत। महिषासुर ने लिया, तीनों लोकों को जीत। काँप रही थी पृथ्वी, स्वर्ग भी था भयभीत। महिषासुर ने लिया, तीनों लोकों को जीत।
महा युद्ध होने से पहले कतिपय नियम बने पड़े थे, महा युद्ध होने से पहले कतिपय नियम बने पड़े थे,
कैसे एक साधारण इंसान देवता समान ही श्रेष्ठ हो सकता है। कैसे एक साधारण इंसान देवता समान ही श्रेष्ठ हो सकता है।
लोकमर्यादा की रक्षा के लिए वहीं पर यज्ञ किया था उन्होंने। लोकमर्यादा की रक्षा के लिए वहीं पर यज्ञ किया था उन्होंने।
पड़ा हुआ था दुर्योधन होकर वन पशुओं से लाचार, कभी शिकारी बन वन फिरता आज बना था वो शिकार। पड़ा हुआ था दुर्योधन होकर वन पशुओं से लाचार, कभी शिकारी बन वन फिरता आज बना था ...
कृष्ण पत्नियाँ उनके बिछोह की आशंका में व्याकुल हो जातीं सब । कृष्ण पत्नियाँ उनके बिछोह की आशंका में व्याकुल हो जातीं सब ।
परीक्षित, भगवान की आज्ञा मानकर अक्रूर हस्तिनापुर चले गए। परीक्षित, भगवान की आज्ञा मानकर अक्रूर हस्तिनापुर चले गए।
जरासन्ध की सेना ने वहाँ वाणों की वर्षा कर दी थी. जरासन्ध की सेना ने वहाँ वाणों की वर्षा कर दी थी.
श्रीकृष्ण की सुन लो कथा तुम, आज पूरे ध्यान से। भवसागरों से मुक्ति देती, यह कथा सम्मान । श्रीकृष्ण की सुन लो कथा तुम, आज पूरे ध्यान से। भवसागरों से मुक्ति देती, यह कथ...
उसी समय श्री कृष्ण आ गए माँ के पास दूध पीने के लिए। उसी समय श्री कृष्ण आ गए माँ के पास दूध पीने के लिए।
पाँच भूतों से विराट शरीर, ब्रह्माण्ड का निर्माण करते वे. पाँच भूतों से विराट शरीर, ब्रह्माण्ड का निर्माण करते वे.
हाथ बढ़े तो देश की खातिर कंठ से हो बस जय जयकार हाथ बढ़े तो देश की खातिर कंठ से हो बस जय जयकार
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित कृष्ण बलराम एक दिन गए थे प्रातक़ालीन प्रणाम करने के श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित कृष्ण बलराम एक दिन गए थे प्रातक़ालीन प्रण...
आज युद्ध की आहूती में बारी मेघनाद की आई थी मारूँगा या मर जाऊँगा सौगंध पिता की खाई थी आज युद्ध की आहूती में बारी मेघनाद की आई थी मारूँगा या मर जाऊँगा सौगंध पिता क...
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित श्री कृष्ण की प्रत्येक पत्नी से. श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित श्री कृष्ण की प्रत्येक पत्नी से.