तलाश
तलाश
एक धुंध सी जिंदगी
तैरती हुई मेरी नांव
खेवनहार कौन ?
कहां है जिंदगी की छांव
अविरल बहती धारा
जिस ओर बहा ले जाए
अनजान सफर कुछ तलाशती मैं।
कहीं दिखता नहीं मेरा गांव
धुंध में चली जाती मै
भीगा भीगा सा जहां
भीगा सा मेरा पांव।
पदचिह्न भी नहीं
कहां जाऊँ पता नहीं।