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Dr.Rashmi Khare"neer"

Abstract

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Dr.Rashmi Khare"neer"

Abstract

तलाश

तलाश

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202

एक धुंध सी जिंदगी

तैरती हुई मेरी नांव

खेवनहार कौन ?


कहां है जिंदगी की छांव

अविरल बहती धारा

जिस ओर बहा ले जाए

अनजान सफर कुछ तलाशती मैं।


कहीं दिखता नहीं मेरा गांव

धुंध में चली जाती मै

भीगा भीगा सा जहां

भीगा सा मेरा पांव।


पदचिह्न भी नहीं

कहां जाऊँ पता नहीं।


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