तकरार से इकरार तक।
तकरार से इकरार तक।
तकरार से इकरार तक
उस पार से इस पार तक।
दूरी बहुत तय की है हमने।
क्या मिला था उस पागलपन में?
अब लगता है तकरार भी वह झूठी थी।
मन में तुम्हारे कुछ और था और कुछ और ही तुम कहती थी।
मुस्कुराहटें खोलती है कुछ राज जो मैंने अब जाना।
कुछ गलती तो मेरी भी थी
तभी तो हुई थी तकरार यह मैंने माना।
तकरार से इकरार तक मूर्ख से समझदार तक।
लोगों के झूठे सहानुभूति के व्यवहार से हमारे अलगाव तक,
इन सब बातों से हमने यह जाना।
प्यार सच्चा था हमारा यह तो हम दोनों ने ही माना।
क्यों हम बिखर गए थे मोतियों के जैसे,
और मजा ले रहा था जमाना।