STORYMIRROR

Uma Pathak

Classics

2  

Uma Pathak

Classics

तकदीर

तकदीर

1 min
321

तकदीर बदलते वक्त नहीं लगता

कल तुझ पर मेहरबान थी

तो कल मुझ पर मेहरबान होगी।


कल कोई नहीं जानता

यह कब किसका साथ दे

तकदीर बदलना भाग्य के साथ है।


यह तो सब समय के हाथ में है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics