तिश् -नगी
तिश् -नगी
जिन्दगी का अदब और कायदा उमर के साथ ढल कर हो गया बे - कायदा ||
मैं कहाँ चाह्ता था कि तुमसे बे अदबी करूं इसमे तेरा फायदा ना मिरा फायदा ||
बात पुरुषों के पुरुषत्व पर आ के रुकी बात पुरुषों के पुरुषत्व पर आ के रुकी मर्द भिड्ने लगे आशिकी पर सभी ||
मर्द भिड्ने लगे आशिकी पर सभी ||
जिन्दगि का अदब और कायदा उमर के साथ ढल कर हो गया बे - कायदा ||
तिश-नगी बढ गई तिशना गर हो गया रूह मेरी जज्बातों को लेके तरसने लगी ||
जाऊंगा एक दिन दूर तुझसे सखी जान जाऊँ ये पहेले के प्यार है या नही
जिन्दगी का अदब और कायदा उमर के साथ ढल कर हो गया बे - कायदा।
