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Khushi Kumari

Romance

4.2  

Khushi Kumari

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तेरी मीरा कान्हा!

तेरी मीरा कान्हा!

1 min
439


जबसे तुमसे प्रीत लगाई ओ मुरलीधर,

अब हर जगह तुम्हीं तुम हो।

मेरे व्योग मंडल की अग्नी को जो शान्त करे, तुम वो नूर हो।

हैं कहते लोग मुझे बावरी ,अखिर इसकी वजह भी तुम ही तो हो।

ना कोई नज़ारा अब नज़ारा लगे,

जबसे तेरो छवि निहारत हैं, केशव तू ही हमे सबसे प्यारा लगे।

मेरी बेचैन सी जिन्दगी में आप सुकून हैं,

क्या करुँ हे गोपल,सब कहत इश्क़-इश्क़, हमे सुनावत कृष्ण हैं।

हैं कहते लोग मुझे बावरी ,अखिर इसकी वजह भी तुम ही तो हो।


आऐ कभी ऐसा दिन ओ कान्हा कि मैं आपको सजाऊँ

कान्हा मैं रूठती बहुत हूँ, मैं रुठू और आप मुझे मनाओ।

कैसी लगन तोहसे लगी ओ साँवरे, बस तेरा रन्ग ही मुझे भावे।

मांग लो अगर,तो मैं अपनी प्राण-त्याग दूँ, बस एक शर्थ ओ कृष्ण,

मेरे परिवार को सदेव बनाए राख्यो।

हैं कहते लोग मुझे बावरी,आखिर इसकी वजह भी तुम ही तो हो।


"ना तेरी राधा कान्हा ,

ना तेरी रुक्मणी बनना चाहती हूँ ,

बस सदेव तेरी मीरा बनके रहना चाहती हूं।"


              


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