STORYMIRROR

Nikhil Sharma

Abstract Others

3  

Nikhil Sharma

Abstract Others

तेरी हंसी की खातिर।

तेरी हंसी की खातिर।

1 min
14K


तेरी हंसी की खातिर मैं सब ज़ख्म सह लूँगा 
हाँ, दर्द में भी, हँसता मैं रहूँगा 
तेरी हंसी की खातिर

तेरे रुक्सार, जो खिलने लगेंगे 
मेरे इश्क के रंग और गहराने लगेंगे 
पता नहीं क्यूँ है, मुश्किल करना ज़ाहिर 
पर चाहता रहूँगा तुझको 
तेरी हंसी की खातिर

अजनबी बनके तेरे आस पास रहता हूँ 
जो तुझसे कहना है, वो खुद से ही कहता हूँ 
चुप रहने में, हो गया हूँ, अब मैं माहिर 
चुप रहके भी तुझे हंसाता रहूँगा 
तेरी हंसी की खातिर

पूछता हूँ खुद से यह... क्यूँ हुआ मुझे प्यार है 
हुआ है तो क्यूँ मुश्किल करना इज़हार है 
नहीं कहूँगा तुझसे इश्क है 
तेरी हंसी की खातिर


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract