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वो यादें जो तुमने दी

वो यादें जो तुमने दी

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अकेले तन्हा जब खुद में मैं खोता हूँ 
ज़िन्दगी के गुज़रे लम्हों से रूबरू होता हूँ 
संग मेरे बस चलती हैं 
वो यादें जो तुमने दी

सफ़ेद लिबास में लिपटी तुम 
ज़मीन पर चाँद लग रहीं थी 
सादगी भरी अदाएं जैसे 
नज़ाकत से चल रहीं थी 
हर लम्हा जीता हूँ उनमें 
वो यादें जो तुमने दी

कुछ क़दमों का वो 
ज़िंदगी भर का रास्ता हो गया 
कुछ लम्हों के लिये तुझसे मिले थे 
उम्र भर का वास्ता हो गया 
हर लम्हा सताती हैं 
वो यादें जो तुमने दी

उन में करने का मेरा कोई इरादा न था 
संग जीने मरने का किया कोई वादा न था 
बिन कुछ कहे जाने कैसे यह मंजिलें जुड़ गयी 
हर तड़प दिल की धड़कन बढ़ाती है 


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