Teri yado ki barish
Teri yado ki barish
जब भी अब कुछ बूंदे गिरती
याद आता है तेरे आंचल का साया
बरसात भी क्या खूब थी आई
मेरे अंदर जज्बात था जगाया।
याद है मुझे वो हल्की सी बूंदे
जो तेरे सिरहाने से होकर गुजरी थी
जब हम बैठ कर कुछ अल्फाज थे कहते
बूंद भी तेरे बालों से निकली थी
वो बूंद भी महसूस करी तेरी छुवन को
आवाज थी आई मेरे मन को
मैं तुझको इतना प्यार दू
की तू मुझसे दूर न हो पाए
अपने हालातो से तू मजबूर न हो पाए
अब बस तन्हा सा रह गया है याद तेरे
हर बूंद से लिपटी हुई सी वो बात तेरे
जब भी कही अब बूंदे है गिरती
याद आता है तेरे आंचल का साया।

