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Nishant Mishra

Romance

4  

Nishant Mishra

Romance

Teri yado ki barish

Teri yado ki barish

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जब भी अब कुछ बूंदे गिरती

याद आता है तेरे आंचल का साया

बरसात भी क्या खूब थी आई 

मेरे अंदर जज्बात था जगाया। 


याद है मुझे वो हल्की सी बूंदे

जो तेरे सिरहाने से होकर गुजरी थी

जब हम बैठ कर कुछ अल्फाज थे कहते

बूंद भी तेरे बालों से निकली थी 


वो बूंद भी महसूस करी तेरी छुवन को

आवाज थी आई मेरे मन को

मैं तुझको इतना प्यार दू

की तू मुझसे दूर न हो पाए

अपने हालातो से तू मजबूर न हो पाए


अब बस तन्हा सा रह गया है याद तेरे

हर बूंद से लिपटी हुई सी वो बात तेरे


जब भी कही अब बूंदे है गिरती 

याद आता है तेरे आंचल का साया।



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