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Nishant Mishra

Romance

4.0  

Nishant Mishra

Romance

जुदा कर देना

जुदा कर देना

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जब मन भर जाए उनका 

तो दिल से जुदा कर देना


अपने जख्म को छोड़ कर

उनको विदा कर देना।


कहीं मौसम की नमी भिगो न दे

अपनी अश्को की कहीं बरसात कर लेना


जब मिल जाए दूसरी मंजिल तो मुड़ लेना 

हंस के खुद से फिर मुलाकात कर देना


जब मन भर जाए उनका 

तो दिल से जुदा कर देना 


दर्द हो जब उस लम्हे से

उन्हे मुड़ कर मत देखना

सिला दिया था उसने वफाओं का

उसका पड़ा कोई खत देखना


थी प्यारी सी बाते जो उस पल हमने गुजारे थे

आज वो इस छोर है कभी हम साथ एक किनारे थे।


जब मन भर जाए उनका

तो दिल से जुदा कर देना।



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