तेरे संग
तेरे संग
नीम सी कड़वाहट लिए घूमते हो जब आसपास....
सच कहती हूं छोड़ छाड़ सब....
उड़ जाता मन अनंत वितान की ओर....
अगले ही पल, शहद सा बन कर.....
मंडराते मेरे चारों ओर.....
मन पिघल पिघल सा जाता है.....
तुम कान्हा बन इठलाते हो.....
मैं मीरा बन इतराती हूँ....
ज़िंदगी भी आंख मिचौली है....
जैसे देखो दिखती वैसी.....
मत भूलो आंखमिचोली में .....
कब सांसों की डोरी टूट जानी है....
हर लम्हा अनमोल बनाना है ....
लुक्का छिपी के इस खेल में....
हमजोली बन दुनिया देखो....
एक दूजे संग....