तेरे चरणों में
तेरे चरणों में
एक तमन्ना जीवन की, पुष्प बन तेरे चरणो में चढ़ जाऊँ।
हॉड़- मांस का पुतला हूँ, न जाने कब रुखसत हो जाऊँ।।
हर धड़कन तुमसे है सलामत, कैसी उसकी तड़प मैं सुनाऊँ।
याद करते-करते अब दिल भी कहता, मैं तुम पर बलिहारी जाऊँ।।
मरने से अब क्या है डरना, मुर्शिद में ही फ़ना हो जाऊँ ।
विरह- मिलन का अंत तभी है, हर सांसो में तुम को ही पाऊँ।।
जमाने की परवाह नहीं मुझको, तेरे चरणों में शीश झुकाऊँ।
चाहत तुम्हारी कभी कम न होगी, चाहे दुनिया में पागल कहलाऊँ।।
भक्ति- भाव को कम न करना, सदा तुम्हारी महिमा मैं गाऊँ।
" नीरज" की बस एक प्रार्थना राज़ी व रज़ा में ही जीवन बिताऊँ।।
