तेरे चर्चे
तेरे चर्चे
छुट्टियाँ किसको नहीं अच्छी लगतीं ,
घर के ही काम ये बीमार नहीं होने देते।
मैंने देखे हैं तेरे घर में खिड़कियाँ हैं बहुत,
मुझे दरवाज़े चौकीदार नहीं होने देते।
वो जो बैठे हैं ऊँचाई पे बरगदों की तरह,
मुझे दरख़्त ओहदेदार नहीं होने देते।
मैंने चाहा तेरी काबिल कहूँ कुछ बात मगर,
तेरे चर्चे फरमाबरदार नहीं होने देते।
मैंने सुन रक्खे हैं कई जुर्म ए ज़माने 'केसर',
तेरे चर्चे मुझे सरकार नहीं होने देते।