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Ankit Mishra

Abstract

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Ankit Mishra

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ये दुनिया

ये दुनिया

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सच्चे जज़्बातो और नेकी पे हसती ये दुनिया

बस लालच और नफरत से चलती ये दुनिया

चंद सिक्को के खातिर क़त्ल करती ये दुनिया

सभी को मुबारक ये सपनों की दुनिया


गरीबो के कंधो पर पैसे वालो की दुनिया

कमजोरों पे दमखम दिखाती ये दुनिया

बेसहारो को बेबस बनाती ये दुनिया

मासूमों से बचपन चुराती है दुनिया

गुलामो मुबारक तुम्हे ये आज़ादी की दुनिया


भाइयों को दुश्मन बनाती ये दुनिया

नफरत की भाषा सिखाती ये दुनिया

नस नस में ज़हर को दौड़ाती ये दुनिया

मुबारक सभी को नफरत के अन्धो की दुनिया


चमक धमक साज़ो सजावट की दुनिया

हर चीज़ में करती मिलावट ये दुनिया

सादगी को मुफलिसी समझती है दुनिया

कीमत देकर तो देखो बिक जाती है दुनिया

मुबारक सभी को इतनी सस्ती सी दुनिया


सब हैं कहते ऊपर किसी ने बनाई ये दुनिया

जो बनाई तो बनाकर भुलाई क्यों दुनिया

तुमने तो सुन्दर ही सी बनाई थी दुनिया

अगर सुन सको तो गुजारिश है सुन लो

बचा लो इसे ये तुम्हारी है दुनिया



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