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Raja Sekhar CH V

Abstract

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Raja Sekhar CH V

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जीवन रणरंग

जीवन रणरंग

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कितना कष्ट है सबका जीवन चतुरंग,

उतना ही संक्लिष्ट है दैनंदिन रणरंग,


उसमें स्वयं सृष्टि करिए सानंद तरंग,

तब मन संतुष्टि से उड़ेगा जैसे विहंग।


जीवन में दिखेंगे अनेकानेक रंगतरंग,

जीवन का प्रति ध्याय है अत्यंत रंगारंग,


प्रतिस्पर्धा प्रतिद्वंदिता दिखाएं सभी रंग, 

सदा श्रवण कर नहीं पाएंगे सारंगी सारंग।


हमेशा रखें सफलता के लिए नई उमंग,

विफलताएं ना करें अपने धैर्य को अपंग,


जीतने के लिए लड़ने पड़ेंगे सैकड़ों जंग,

कभी न बनाएं अपनेआप को कटी पतंग |


 

जीवन जीने का हो सटीक ढंग,

संघर्ष विमर्श अवश्य करेंगी तंग,


अपने अभिप्राय को न करें बेरंग,

कन्हैया के आशीष हैं आपके संग | 



कभी सुनने को मिलेंगे नए प्रसंग,

वेगवत रहेगा हमारा ह्रदय तुरंग,


अपनी आकांक्षाओं को रखें अभंग,

तभी जीवन रणरंग होगा रंगबिरंग।


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