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OM PRAKASH JHA

Romance

2  

OM PRAKASH JHA

Romance

तेरे बिन

तेरे बिन

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तेरी अदाएं कहर बन कर टूटती हैं

तेरी एक झलक चैन-ओ-करार लूटती है। 

ना जाने क्या कशिश है तेरी आँखों में

ना जाने क्या नशा है तेरे सुर्ख लबों में। 

डूब जाता हूँ मैं अक्सर तेरे आँखों के समंदर में। 


तेरे बिन मैं अब एक पल भी रह नहीं सकता,

तेरे बिन मैं अब इस दुनियाँ में ज़ी नहीं सकता। 

ये कैसा मेरा तूने अजब हाल कर दिया है,

तूने मेरी इस जिंदगी को बेहाल कर दिया है। 


बस बहुत हुआ अब मेरे पास तू आ भी जा,

बस बहुत हुआ अब मुझे तू और ना तड़पा। 

तेरी प्यारी सी सूरत मुझे बहुत याद आती है,

तू मेरे ख्वाबों में आकर अक्सर मुझे सताती है। 


यूँ तेरा इस कदर दूर मुझसे जाना मुझे गवारा नहीं है,

तेरे सिवा मुझे और कोई भी प्यारा नहीं है। 

इस बात क़ा तुझे भी तो एहसास है,

की हरपल हर वक्त तू मेरे दिल के पास है। 


वाकिफ है तू मेरे दिल के जज्बात से। 

वाकिफ है तू मेरे जिंदगी के हालात से। 

फिर बता दे मुझे तेरी क्या मजबूरी है। 

तुझको तो पता है तू मेरे लिए कितना जरूरी है। 



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