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OM PRAKASH JHA

Abstract

5.0  

OM PRAKASH JHA

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माँ की ममता

माँ की ममता

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माँ की ममता क़ा यहाँ कोई तोड़ नहींं है  

कोई भी रिश्ता इतना बेजोड़ नहींं है 


औलाद की फिक्र से बढ़कर उनके लिए कोई बात नहींं है 

लानत है उस औलाद पर जिसके दिल में माँ के लिए कोई जज्बात नहींं है 


माँ बूढ़ी भी हो जाए उनको बस औलाद की चिंता सताती है 

कोई भी तकलीफ आ जाए तो माँ की याद ही आती है 


इस जगत में माँ से बढ़कर कोई भगवान नहींं है 

माँ से जिसको लगाव न हो वो इंसान नहींं है 


खुद भूखे सो जाए लेकिन अपने संतान को भूखे सोने ना दे 

उस माँ के रहते भी कहते हो की इस दुनियाँ में भगवान नहींं है


चेहरे पर झुर्रियां आ जाती पर बच्चों क़ी खातिर 

जो उस उम्र मे भी औलाद के लिए कुछ भी कर जाती  


माँ तो आखिर माँ है माँ क़ी ममता क़ा कोई भी मोल नहीं है 

माँ के प्यार से बढ़कर इस दुनिया मे कुछ भी अनमोल नहीं है  


माँ को जो दुख पहुंचाये कतई वो इंसान नहीं है 

शैतान क़ा अवतार है वो इंसानियत क़ा उसको ज्ञान नहीं है 


हर दर्द मे तुझे पुकारा है मैने ए माँ तू ही बस याद आई है 

तेरा प्यार मिला मुझे मैने इस दुनिया क़ी सारी दौलत पाई है 


उस भगवान कोई कभी ना देखा मैंने लेकिन इतना तो जरूर है  

तेरे रूप में खुद वो इस धरती पर हर जगह जरूर है।


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