तेरा साथ होना ज़रुरी सा है अब..
तेरा साथ होना ज़रुरी सा है अब..


उदास थी ये जिंदगी
तनहा सी कही थम गयी थी..
बारिश तो बरसी ढेर सारी
पर बूंदें कही जम सी गयी थी..
करवटों से भरी रातों में
कुछ सपनों का सहारा था,
ख़्वाब तो खुशी के थे इनमें
पर आँखें कहीं नम सी हो गयी थी
नम हुई इन आँखों को
एक सबब तुझसे मिला है
थमी हुई इन सांसों को....
जीने का वजूद तूने ही दिया है
मेरा कुछ ना रहा मुझ में
मेरे होने में अब तेरा साया है..
ये दिल ठहरा तेरी गलियों में
अब तूही धड़कनों में समया है
तेरे शिकवे गिले
तेरी रुसवाईयाँ
तेरी मनमानीयाँ
सारी मंज़ूर है मुझे
सारे रिश्ते हारकर भी मैं
ना खोना चाहूं अब तुझे...
क्योंकि तेरा साथ होना ज़रुरी सा है अब
हाथों में ये हाथ होना ज़रुरी सा है अब
तेरी बाँहों में मैने जन्नत को छुआ है
तेरी कुछ सुलगती सांसों का असर
मेरी आहों पर भी हुआ है
अटक गयी है इन सांसों में
अब ये आहें एक पहेली सी
जुदा ना हो कभी मेरी आहें
तेरी सांसों से
बस यही एक दुआ है...
बेजुबान मेरी मोहब्बत की
आवाज़ बन गया है तू
सारे सितम ढाकर मुझपे
खुशी की एक आगाज़ बन गया है तू
तेरे आँखो के नूर में ये बेमतलब सी
अदाएँ खास लगती है मुझे
सारे रिश्ते हार कर भी मैं ना खोना
चाहूं अब तुझे.....
क्योंकि तेरा साथ होना ज़रुरी सा है अब
हाथों में ये हाथ होना ज़रुरी सा है अब
कैसे बताऊँ मेरे लिये क्या है तू
मेरे आयत की दुआ
मेरे ख़ुशियों का फरिश्ता है तू
मेरे हर ज़ख्म का मरहम
मेरे इश्क़ की दासताँ है तू
कभी खता हो कोई तो रूठ ना जाना
अपनी रूसवाईयों से भले हमें खूब सताना
पर मेरी आखिरी सांस से पहले
ज़रुर मान जाना...
ना कुछ कहना
ना कुछ सुनना
बस बाँहों में समा कर मुझे
अपने गले लगाना
क्योंकि तेरा साथ होना ज़रुरी सा है अब
हाथों में ये हाथ होना ज़रुरी सा है अब