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Taj Mohammad

Abstract Tragedy

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Taj Mohammad

Abstract Tragedy

तेरा रूतबा है बड़ा

तेरा रूतबा है बड़ा

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अपने अंदर ना जानें कितनी ही वो खामोशियाँ लिए है बैठा।

इतना कम बोलना किसी भी इंसान के लिए होता खतरा है बड़ा।।1।।


ऐसे घुट घुट कर ही जीना होती है इश्क की ज़िन्दगी सनम।

हरपल को दिल से जियों ज़िंदगी खुदा का तोहफा है बड़ा ।।2।।


गर गम है तो दे दो मूझे जीने के लिए वैसे भी गम है बड़े।

पूंछ लो दीवानों से आशिको का दिल कितना होता है बड़ा ।।3।।


हर गम को तेरे बांट लेते तू अक़ीदा करके तो देखता हम पर।

तुम ना समझों पर हमारी ज़िंदगी में तुम्हारा रुतबा है बड़ा।।4।।


हर चीज को ना यूँ हल्के में लिया करो तुम इस जिंदगीं में यहाँ।

ना समझो इतना छोटा लड़ाई को ये तो पुराना झगड़ा है बड़ा।।5।।


तुमको उसनें समझाया कितना पास रखकर पर तू ना समझा।

इसीलिए आजकल वो तुमसे तुम्हारी समझ पर भड़का है बड़ा।।6।।


ना करो तुम कोशिशें हमसे मोहब्बत में मिलने की इतनी ज्यादा।

कोई ना आ पायेगा निगाहबानों की निगाहों का पहरा है बड़ा।।7।।


उसकी किस्मत ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन बन गयी है जो।

अब कहाँ से इस साल भी चुकाएगा वह कर्ज़ा खेतों में सूखा है पड़ा।।8।।


गरीबी भी इंसान को क्या क्या रंग दिखाती है उसकी जिंदगी में।

कई दिनों से उसने खाया नही है कुछ भी शायद वह भूखा है बड़ा।।9।।


इंसानों ने ना कुछ किया है जाने क्या सूझी इन छोटी छोटी जानो को।

जब से आते नहीं परिन्दे यहाँ पर तब से ये बाग उजड़ा है पड़ा।।10।।


यह दौलत है होती रहती है कभी कम तो कभी ज्यादा इस जिंदगीं में।

थोड़ा सा कम ही ले लेता जायदाद के बटवारे में तू घर का है बड़ा।।11।।


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