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S Ram Verma

Abstract

3  

S Ram Verma

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तेरा मेरा रिश्ता !

तेरा मेरा रिश्ता !

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तेरे मेरे रिश्ते को 

सदा ही मैंने रखा है

और सभी रिश्तों और 

नातों से ऊपर बहुत ऊपर !


अपनों से परायों से 

रिश्तों से नातों से 

रितो से रिवाज़ों से 

रस्मों से समाजों से !


सच से झूठ से 

वर्तमान से भूत से 

आशा से निराशा से 

सुख से दुःख से !


जीवन से मृत्यु से 

भक्त से भगवान से 

हर एक चीज़ से 

हर एक इंसान से ! 


इतना ऊपर रखा कि

वो रिश्ता आज मेरे ही 

हाथ नहीं आ रहा है !  


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