तारीख़ में
तारीख़ में
तारीख़ में अपना भी नाम किया जाए
प्यार मोहब्बत ठीक है अब काम किया जाए
नज़्में पढ़ेंगे हम तेरे नाम पर जाना
सोचते हैं तुझको भी बदनाम किया जाए
मोहब्बत ने बरबाद की जवानी सबकी
मियां मुफ्ती इश्क भी हराम किया जाए
मुशायरे कवि सम्मेलन तो होते रहेंगे
थोड़ी व्हिस्की और रम का इंतेज़ाम किया जाए
मुजीब हां मुजीब यह बदबख्त शायर
इसी महफिल में इसका क़त्ल-के-आम किया जाए ।।
