स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
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नहीं चाहिए सोना चाँदी ,आज़ादी की मिट्टी सबसे प्यारी।
सारे सुख से बढ़कर स्वतंत्रता ,भर दे ख़ुशियों की क्यारी।
अनगिनत प्राणों की आहुति, कैसे भूले वीरों की कुर्बानी।
स्वतंत्रता यज्ञ में बनी समिधा, अनंत सपूतों की ज़िंदगानी।
बेड़ियों में जकड़ी रही सदियों तक, माँ बेटों को थी पुकारती।
आज़ादी के स्वर्णिम प्रभात में ,फिर से हुई गर्वित माँ भारती।
क्या खोया क्या पाया हमनें ,आओ मिलकर सब करें विचार।
ग़ुलामी का कारण समझे ,अपनी ग़लतियों को करें स्वीकार।