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Swapnil Ranjan Vaish

Inspirational

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Swapnil Ranjan Vaish

Inspirational

स्वप्न

स्वप्न

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स्वप्न देखा मैंने अनोखा,

प्रकृति को हाथों में लिए परमात्मा,

नीले झरने, पेड़ हरे-भरे, बादल अलबेले,

पक्षी भी मदमस्त उड़ कर लगाते मेलेI


दूर कहीं से झाँकता दिनकर,

प्रफुल्लित है प्रकृति का हिस्सा बनकर,

इंसान कैसे भूल गया ये सुंदर उपकार,

ईश्वर का प्रकृति रूप उपहारI


हर दम लगा रहता नष्ट करने को स्वार्थी बन,

लेशमात्र भी इसका ना दुखता मन,

संभल जाओ कहीं देर ना हो जाये,

विरासत में मात्र सुंदर तस्वीर ही ना रह जाये।


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