ओझल होता वक़्त
ओझल होता वक़्त
ये वक़्त भी फ़ना हो जाता है
हर स्थिति में गुज़र ही जाता है
क़ैद करके कोई रख ना पाया इसे
अमीर भी देखो ना ख़रीद पाया इसे
जब तक लम्हा है तुम्हारे हाथ में
जी लो उसे जब तक एहसास साथ में
बीता जो पल वापस नहीं आता कभी
ये नितांत सत्य जानते हैं सभी
सुख दुख में जो रहे एक समान
उसी का करता ये वक़्त सम्मान