स्व: तलाश
स्व: तलाश


बचपन बीता,
सपने देखे
फिर पढ़ लिखकर,
जॉब को भागे।
खुद से पूछा,
कौन है तेरा
आवाज़ आई,
कोई नहीं मेरा।
धक्का लगा,
सच जानकर
खुद को देखा,
आंख मूंद कर।
सब कुछ था,
टूटा उजड़ा
जीवन बीता,
बाहर दौड़े।
कभी न खुद,
अंदर लौटे
आज मांगी,
स्वयं से माफी।
जीवन हारों को,
हमने स्वीकारा
मार्ग शांति का,
हृदय में बनाया।
क्षमा, दया से,
खुद को निखारा
पलकों से जब,
खुद को समेटा।
अंदर से जब
स्व:मुस्कुराया
आज हमने,
खुद को पाया।