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Bharat Jain

Inspirational

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Bharat Jain

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सूरज तुझको उगना होगा

सूरज तुझको उगना होगा

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फैला अंतर में मोह जाल,

धूमिल सा गगन विशाल,

घना कोहरा छँटना होगा,

सूरज तुझको उगना होगा!


परछाई का यहां बसेरा,

जैसे दीपक तले अंधेरा,

सभी घरों तक जाना होगा,

हाँ, प्रकाश को बंटना होगा,

सूरज तुझको उगना होगा!


किसी एक का भाग्य नहीं,

तुझ पर कुछ का अधिकार नहीं,

धनी निर्धन का भेद छोड़,

सब की झोली भरना होगा,

सूरज तुझको उगना होगा!


झूठे तारों से भरी रात है,

क्या होगी नहीं कल प्रात है,

शशि का मस्तक झुकता है

ध्रुव तारे को जलना होगा,

सूरज तुझको उगना होगा!


मेघ वसन तूने ओढ़े हों,

पहरे पर देव खड़े हों,

तुझे उतार के ही लाऊंगा,

महि पर भी चलना होगा,

घना कोहरा छँटना होगा,

सूरज तुझको उगना होगा!



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