सूनो माँ...
सूनो माँ...
माँ
क्यों कहते है लोग कि मैं बड़ी हूँ
अभी ही तो उठकर खड़ी हूँ मैं ।
क्यों कहते है लोग अपने पैरो पर खड़ी हूँ मैं
आज भी तुम्हारे गाभन की कलीहूँ मैं।
क्यों कहते है लोग उड़ रहीहूँ मैं
अपनो के ही ख्वाब हकीकत कर रही हूँ मैं।
क्यों लोगो के कथन पर तुमने बात मानली,
अपनी लाडली का दामन दूसरे के हाथ थाम दी।
क्यों किया माँ तुमने कन्यादान मेरा
क्यों नही रख पायी मेरी ईच्छा का मान ओ माँ ?
क्या लगता माँ तुझे वो मुझे तुझ सा प्यार दे पाएंगे
वो जितना भी कहले पर तुम सा ना दे पाएंगे।
बेटी कहकर ले जायेंगे ,बहु बना कर मिटायेंगे
मेरी हाथ की रोटी वो,चबा - चबा कर खायेंगे
तुझको लड़ने आयेंगे गाड़ी, गहना मंगवायेंगे।
मेरी कमाई खाकर भी वो मुझपर आग लगायेंगे।
ना जाऊंगी मैं ससुराल ओ माँ तुम मेरी बाते सुनलो
ना करोगी ब्याह मेरा जाकर उनसे ये कह दो।
ना बेटी ना बेटा सिर्फ तुमने दोनो सा पाला है
ना छोड़कर जाऊंगी फैसला मैंने कर डाला है।
माँ मेरी चिंता तू मत कर; तेरे बिन ना मैं रह पाऊंगी
तुझे छोड़ ना जाऊंगी, मैं मायके मे मर जाऊंगी।
यही चाह है ओ मेरी माँ मैं कभी ना ब्याह रचाऊंगी,
कभी ना ब्याह रचाऊंगी।